देहरादून रिस्पना और बिंदाल नदी को बचाने में झूठा देहरादून नगर निगम 15 मई तक चलेगा अभियान

देहरादून के पहाड़ी क्षेत्र से निकलने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी एक जमाने में यहां बसने वाले लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत था इस पानी  सिंचाई के अलावा कहीं जरूरी काम हुआ करते थे

देहरादून. गंदे नालों में तब्दील हो चुकी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की रिस्पना और बिदांल नदी को बचाने के लिए देहरादून नगर निगम कमर कस चुका है. वहीं राजधानी में डेंगू भी दस्तक दे चुका है, जिसके बाद अब नदी-नालों की सफाई का काम सबसे अहम हो जाता है. देहरादून में 15 मई तक तमाम नदी-नालों की सफाई के लिए नगर निगम की टीम विशेष अभियान चला रही है, जिसके तहत इन नदियों को कूड़ा मुक्त करने पर काम किया जा रहा है. इसके साथ ही जो लोग इनमें कचरा डालते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

देहरादून के प्रभारी मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अविनाश खन्ना ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा कि हाल ही में जिलाधिकारी सविन बंसल ने एक बैठक ली थी. डीएम से मिले निर्देशों के बाद नगर निगम रिस्पना और बिदांल नदी समेत शहर के सभी छोटे-बड़े नालों के साथ ही ड्रेन की सफाई 15 मई तक करने का काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि डेंगू की रोकथाम को लेकर भी लोगों को जागरूक करने के साथ ही नदियों में कूड़ा फेंकने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में नगर निगम को रिस्पना और बिदांल नदी के तटों समेत शहर के सभी छोटे-बड़े नालों और ड्रेन की साफ-सफाई का काम 15 मई तक हर हाल में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में मानसून में इस बार जलभराव की समस्या और गंदगी से बचा जा सकेगा.

 

नाले में कैसे तब्दील हो गईं देहरादून को सींचने वाली नदियां?

देहरादून के पहाड़ी क्षेत्रों से निकलने वाली बिंदाल और रिस्पना नदी एक जमाने में यहां बसने वाले लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत थीं. इनसे सिंचाई के अलावा कई जरूरी काम हुआ करते थे लेकिन धीरे-धीरे औद्योगीकरण और निर्माण कार्यों के चलते शहर की आबादी ने इन नदियों को दूषित कर दिया. जिसके बाद नवंबर 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए अपना ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू किया. बिंदाल नदी की सफाई के लिए भी कुछ सरकारी योजनाएं चलाई गईं. सरकार के साथ-साथ कई गैर सरकारी संगठनों ने भी क्लीन रिवर मूवमेंट चलाकर उनकी सफाई करने का प्रयास किया और लोगों को समझाने की भी कोशिश की कि ये नदियां हमारे लिए बहुत अहम हैं लेकिन नालों में तब्दील हो चुकी ये नदियां अपने पुराने रूप में नजर नहीं आ पाईं.

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