देहरादून नगर निगम द्वारा प्रस्तावित व्यापार लाइसेंस शुल्क के खिलाफ दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष पंकज मैसोंन ने इस शुल्क को तानाशाही पूर्ण और व्यापारी विरोधी बताते हुए तत्काल वापसी की मांग की

खबर एक नजर : देहरादून के व्यापारी समुदाय में इन दिनों आक्रोश की लहर दौड़ रही है नगर निगम द्वारा प्रस्तावित व्यापार लाइसेंस शुल्क को लेकर दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने इस शुल्क को न केवल अन्यायपूर्ण ठहराया है बल्कि इस छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदायक भी बताया है कोरोना महामारी के बाद देहरादून के व्यापारी पहले ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं  बढ़ती महंगाई और ऑनलाइन व्यापार की चुनौतियां ने स्थानीय बाजारों को पहले ही कमजोर कर दिया है ऐसे में नगर निगम का व्यापार लाइसेंस शुल्क लागू करने का फैसला व्यापारियों के लिए नमक पर मिर्च छिड़कना जैसा है

दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज मैसोंन ने नगर निगम की व्यापारी नीतियों पर गंभीर प्रश्न उठाते हुए कहा कि देहरादून नगर निगम जिस प्रकार से व्यापारियों पर अनावश्यक कर और शुल्क लाद रहा है वह लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है एक और सरकार कहती है आत्मनिर्भर बनो वहीं दूसरी और नगर निगम व्यापारियों को लाइसेंस के नाम पर प्रताड़ित करने पर तुला है हम इस जबरन वसूली को कदापि स्वीकार नहीं करेंगे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार व्यापारियों को प्रोत्साहित करने का काम करते हैं और सभी व्यापारियों को एक साथ मिलकर भारत के विकास में अपनी भूमिका निभाने के बात कर रहे हैं  और सभी व्यापारियों को एक साथ मिलकर भारत के विकास में अपनी भूमिका निभाने की बात कर रहे और वही देहरादून में व्यापारियों को अपनी हक की लड़ाई लड़ने पढ़ रही है नगर निगम से व्यापारी कभी भी विरोध नहीं करना चाहता लेकिन अगर नगर निगम व्यापारियों के साथ दोहरा व्यवहार करेगा तो व्यापारी बर्दाश्त नहीं करेंगे और सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे

दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के मुख्य संरक्षक सुशील अग्रवाल ने कहा कि नगर निगम में पिछले साल मेयर सुनील उनियाल गामा के कार्यकाल में भी यह टैक्स लगाने की शुरुआत की गई थी जिसे दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने पुरजोर विरोध किया था और मेयर सुनील उनियाल गामा से इस टैक्स को हटाने की मांग की थी जिस पर उनके द्वारा व्यापारी हितों को देखते हुए टैक्स लगाने के निर्णय को वापस ले लिया गया था

व्यापारी मंडल का सख्त रुख

पंकज मैसोंन ने नगर निगम की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह शुल्क व्यापारियों को प्रताड़ित करने का एक तरीका है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो व्यापारी सड़कों पर उतरकर अपना विरोध दर्ज करेंगे। व्यापार मंडल के मुख्य संरक्षक अशोक वर्मा ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की।

उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद कभी भी व्यापारियों का उत्पीड़न करना नहीं रहा। यदि नगर निगम इस फैसले पर अड़ा रहा, तो इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया जाएगा।

पहले भी हुआ था विरोध

यह पहला मौका नहीं है जब देहरादून नगर निगम ने व्यापारियों पर लाइसेंस शुल्क थोपने की कोशिश की हो। पिछले साल पूर्व मेयर सुनील उनियाल गामा के कार्यकाल में भी ऐसा ही प्रस्ताव लाया गया था, जिसका दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने पुरजोर विरोध किया था।

उस समय व्यापारियों की एकजुटता के आगे नगर निगम को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। व्यापार मंडल के मुख्य संरक्षक सुशील अग्रवाल ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा, “पिछले साल भी हमने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी और जीत हासिल की थी। इस बार भी हम पीछे नहीं हटेंगे।”

व्यापारियों की एकजुटता

दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के युवा महामंत्री दिव्य सेठी ने इस शुल्क को अवैध वसूली करार दिया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ शुल्क का मामला नहीं है, बल्कि यह व्यापारियों की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने की साजिश है।” युवा अध्यक्ष मनन आनंद ने भी साफ किया कि यदि नगर निगम ने व्यापारियों की मांगों को अनसुना किया, तो जल्द ही एक बड़े आंदोलन की घोषणा की जाएगी। व्यापार मंडल के बैट्री एसोसिएशन अध्यक्ष संजीव कपूर और राज प्लाजा संयोजक अशोक नारंग ने भी इस विरोध में अपनी पूरी भागीदारी का ऐलान किया।

व्यापारियों की मांग 

दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने नगर निगम से इस शुल्क को तुरंत वापस लेने की मांग की है। व्यापार मंडल के महामंत्री पंकज डिढ़ान ने कहा, “हमारी मांग स्पष्ट है। यह शुल्क व्यापारियों के लिए अन्यायपूर्ण है और इसे तत्काल हटाया जाए।” व्यापार मंडल ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे सड़कों पर उतरकर अपनी ताकत दिखाएंगे। इस विरोध में व्यापार मंडल के कई प्रमुख सदस्य, जैसे विश्वनाथ कोहली, शेखर फुलारा, हरीश मित्तल, और अन्य व्यापारी गण शामिल रहे।

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