सुनीता विलियम्स और बुच बिलमोर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 8 दिन गुजरतने थे लेकिन स्पेस क्राफ्ट में तकनीकी खराबी की वजह से वह दोनों 9महीने से वही रहना पड़ा बोइंग को जो स्टारलाइनर यह उन्हें वापस धरती पर लाने वाला था वह खराब हो गया था इसलिए उन्हें इतना लंबा इंतजार करना पड़ा 8 दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर गए थे यह दोनों एस्ट्रोनॉट 9 महीनों बाद लौट आए यान में खराबी का यह सिलसिला यही नहीं रुका अगले कुछ महीनो में यान की तकनीकी खामियां बढ़ती गई इसके कारण यान के पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी को लेकर वैज्ञानिकों को चिंता होने लगी थी पिछले 9 महीनों से दोनों की सुरक्षित वापसी का इंतजार था यात्रियों की वापसी का जिम्मा एलन मस्क के ड्रैगन कंपनी स्पेस एक्स को दिया गया था मस्क की कंपनी के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए दोनों को वापस लाने की तैयारी की गई मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का अंतरिक्ष यान ड्रैगन पहले ही कहीं सफल अंतरिक्ष यात्राओं को अंजाम दे चुका है यही वजह है कि दोनों अंतरिक्ष यंत्रों की वापसी में इसी यान का इस्तेमाल तय किया गया
नासा का कहना है कि अंतरिक्ष यंत्रों की सुरक्षित वापसी को लेकर चर्चा की गई इसके बाद वोटिंग की गई थी बोइंग के अलावा सभी ने इसके लिए मस्क के ड्रैगन पर भरोसा जताया वही बोइंग का कहना था की स्टार लाइनर सुरक्षित यान है यह यान अंतरिक्ष से वापसी में ध्वनि की गति से भी 25 गुना अधिक रफ्तार से वायुमंडल से गुजरता है अंतरिक्ष यंत्रों को सुरक्षित रूप से धरती पर लाने के लिए इसमें पैराशूट भी लगाए गए वायुमंडल में प्रवेश के बाद अंतरिक्ष यान के प्लाज्मा शील्ड का तापमान 1927 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था लेकिन हीट शिल्ड सवार अंतरिक्ष यंत्रों को इतनी तेज गर्मी से बचाने में मददगार साबित हुई
करीब 3:21 मिनट पर अंतरिक्ष यान ऑटोनॉमस यानी स्वचालित हो गया था की अंतरिक्ष यात्री इसे नियंत्रित नहीं कर पा रहे थे इस दौरान उनके सामने लगे टच स्क्रीन पर वह सारी गतिविधियों को देख पा रहे थे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी तक आने का सफर लगभग 17 घंटे का था पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय ड्रैगन कैप्सूल की रफ्तार17000 मील प्रति घंटा थी जिससे कुछ मिनटों के अंतराल में तेजी से धीमा किया गया